तेरे भीगे बदन की खुशबू से लहरें भी हुईं मस्तानी सी
तेरा ज़ुल्फ़ को छूकर आज हुई ख़ामोश हवा दीवानी सी।
ये रूप का कुंदन दहका हुआ ये जिस्म का चंदन महका हुआ
इलज़ाम न देना फिर मुझको हो जाए अगर नादानी सी।
बिखरा हुआ काजल आँखों में तूफ़ान की हलचल साँसों में
ये नर्म लबों की ख़ामोशी पलकों में छुपी हैरानी सी।